
माँ स्वप्न में आई मित्र के, बोली उनसे माँ वहाँ, कर्म ना छोड़े पुत्र हमारा, पुनः कर्म करे वो धरा यहाँ।।
हुआ अचरज पर मिली खुशी, माँ स्वर्ग से द्रष्टि रख रही यहाँ, आदेश माँ का सर आँखों हमारे अब कर्म ना छुटे कभी यह यहाँ।।
माँ स्वप्न में आई मित्र के, बोली उनसे माँ वहाँ, कर्म ना छोड़े पुत्र हमारा, पुनः कर्म करे वो धरा यहाँ।।
हुआ अचरज पर मिली खुशी, माँ स्वर्ग से द्रष्टि रख रही यहाँ, आदेश माँ का सर आँखों हमारे अब कर्म ना छुटे कभी यह यहाँ।।
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